सबक और प्रेरणा
.........जिजीविषा......
....... वे लोग वास्तव में काफी मजबूत और जिंदादिली होते हैं जो अभाव और बेबसी में जीते हैं,
...... सुविधा में जीने वाले तो कमजोर होते हैं जो छोटी सी भी समस्या आ जाए तो आत्महत्या कर लेते हैं।......
............. ऐसे लोगों के लिए सबक और प्रेरणा बन सकते हैं "दिव्यांग भूपेंद्र" ..
.... कई बार उस रास्ते से मैं गुजरता और एक घर के दरवाजे पर एक शख्स खड़ा रहता, जब भी देखता तो शख्स उसी तरह उसी दरवाजे पर खड़ा रहता, मैं भी देखता आगे बढ़ जाता पर एक दिन मुझसे रहा नहीं गया, मैं गाड़ी से उतरा और उसके पास चला गया उनके करीब पहुंचा पर वे अपने स्थान से टस से मस नहीं हुए उनसे बात करने का प्रयास किया तो पता चला वह ठीक से बोल भी नहीं पाते उनको गौर से देखा वह घुटने के बल खड़े थे मुझे बहुत दुःख हुआ।
" हां भूपेंद्र दिव्यांग है "
भूपेंद्र से बात कर रहा था तभी अंदर से एक बूढ़ी महिला निकली वह मुझे पूछे जा रही थी कौन हो? कहां से आए हो? क्या काम है? क्यों पूछ रहे हो ?
........... मैं उनके प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास कर रहा था पर वह बोले जा रही थी, मुझे लगा कि मैं उनको अपनी बात नहीं समझा पा रहा हूं, वह अपनी बात बोले जा रही थी, बोले जा रही थी। कुछ देर बाद मैंने अपने कान की ओर इशारा करके उंगलियों को घुमाया तो महिला बोली - हां बाबू मैं नहीं सुन सकती, कम सुनाई देता है।
....मुझे हंसी भी आई और बहुत दुःख भी हुआ।...
60 वर्षीय महिला भूपेंद्र की मां है जो वृद्ध होने के साथ ही कम सुन पाती है और एक बेटा वह भी दिव्यांग,
....... इतना दुख सहने के बाद भी चेहरे में मुस्कान लिए 25 वर्षीय भूपेंद्र घुटनों के बल चलते हुए मेरे तरफ आए और कहा - "मुझे बे....... बे..... बेतरी.....वाला साइ...... किल।
फिर मैंने कहा बैटरी वाली साइकिल चाहिए?
भूपेंद्र हंसते हुए हां...हां...कहते सिर हिलाया।
............. भूपेंद्र की स्थिति ऐसे कि वह अपने विकलांग प्रमाण पत्र का नवीनीकरण भी नहीं करवा पा रहा है उसकी मां कहती है इसको लेकर मैं कांकेर भी नहीं जा सकती।😢
***दिव्यांग और विधवाओं को सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत क्या सुविधा मिल पा रहा है? यह तो कहना नहीं चाहूंगा पर हम भूपेंद्र के लिए क्या कर सकते हैं ?????.....
......... भूपेंद्र और उसकी मां का मुस्कुराता चेहरा जीवन में अभाव का रोना रोने वालों के लिए सबक है।.....
..."जीवन संघर्ष भरा सफर है, जिसे हंसकर पार करना होगा। शायद यही कहानी है भूपेंद्र और उसकी विधवा मां की".......
टीप-: कांकेर-कोरर मुख्यमार्ग में स्थित तालाकुर्रा गांव में सड़क के किनारे ही दो कमरे का छोटा सा घर है भूपेन्द्र का।
छायाचित्र -:
(1)भूपेंद्र का घर।
(2)भूपेन्द्र की बेबसी को हराता जिजीविषा का वीडियो।
(3)दिव्यांगपन के बीच उम्मीद लिए भूपेंद्र।
लेख -: ललित नरेटी 7587431750
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