जोश और जुनून...
.... कुछ कर गुजरने का दृढ़ संकल्प .....
संघर्ष के साये में पलने वाली यथार्थ कहानियां हजारों हजार के लिए प्रेरणादायक होती हैं, उस कहानी के नायक के संघर्ष से हम अपने कदम मजबूती से अपनी मंजिल की ओर बढ़ाते हैं।
......... कांकेर से भानुप्रतापपुर सफर के दौरान यह दृश्य देखकर ठिठका। अपने वाहन की गति को धीमा किया, पर हिम्मत नहीं हुई।
मैं एक किलोमीटर आगे बढ़ गया पर मुझसे रहा नहीं गया मन में उधेड़बुन चलने लगा । मैं अचानक गाड़ी मोड़ दी फिर वापस आया उस जगह जहां मैंने इनको देखा था, वे वहां से कुछ आगे बढ़ चुके थे मैं उनको मोड़ पर मिला।
....... यह संयोग ही था कि उनको जिस मोड़ पर मिला वह जिमीदारिन याया और मावली के स्थान के समीप था। गाड़ी से उतरा और उनसे अनुमति लिया "क्या मैं आप लोगों का फोटो खींच सकता हूं"? दोनों बोले बिल्कुल नहीं!
फिर निवेदन किया तो पूछे आखिर हमारा फोटो आप क्यों खींचना चाहते हैं ? कुछ देर शांत रहने के बाद मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि आपके संघर्ष और आपके जज्बे को मैं उन लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं जो संघर्ष, मेहनत को छोड़कर सुविधा का रोना रोते हैं।
....... इतना सुनते ही वे भी मुस्कुराने लगे और फोटो खिंचवाने तैयार हुए, पर उन्होंने मुझे भी पूछ लिया आप कौन हैं? तो मैंने भी अपना परिचय बताया, माहौल दोस्ताना हो गया।
इस दौरान मार्ग पर चलने वाले लोग मुझे और उनको कौतूहलपूर्ण नजरों से देखते और आगे बढ़ते।
...... जी हां बात हो रही है भानुप्रतापपुर- कांकेर मुख्य मार्ग में स्थित छोटा सा गांव कुर्री की। जहां सड़क पर स्कूल गणवेश में व्हील चेयर पर बैठे छात्र को दूसरा छात्र सहारा देकर ले जा रहे थे। जब उनसे पूछा तो व्हीलचेयर में बैठा छात्र अपना नाम *रमन गोटा* बताया वह 12वीं कला संकाय के छात्र हैं और व्हीलचेयर को सहारा देने वाला पीछे खड़े छात्र योगेश गोटा भी 12वीं कला का छात्र है। दोनों हाईस्कूल कुर्री वि.खं. भानुप्रतापपुर के छात्र हैं।
.... मैंने पूछा दोनों एक ही कक्षा एक ही संकाय में पढ़ते हैं क्या आप दोनों दोस्त हैं ? रमन ने योगेश की ओर नजर घुमाते हुए कहा - "नहीं यह मेरा सगा छोटा भाई है"। **(यह बात कहते हुए रमन के चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व का भाव देखते ही बन रहा था)** जहां आज के दौर में एक भाई अपने दूसरे भाई का दुश्मन बना बैठा है। वहीं दूसरी ओर रमन और योगेश का एक - दूसरे के प्रति सहयोग, विश्वास और समर्पण हम सबको गहरी सीख दे रहा है।
....... रमन ने आगे बताया सर मैं स्वयं से कुछ नहीं कर सकता, अपने कपड़े भी स्वयं नहीं पहन सकता, इन सब कार्यों में मेरा छोटा भाई योगेश ही सहयोग करता है और मेरे माता-पिता के सहारे ही अपने दैनिक कार्यों को मैं कर पाता हूं ।
..... मैंने कहा आपको निराश होने की जरूरत नहीं है आप पढ़ाई पर ध्यान दीजिए और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अभी से शुरू कर दें। मेरी बातों को सुनकर थोड़ा मायूस हुए पर तुरंत मैंने कहा आप निराश ना हों। क्या आपने प्रसिद्ध वैज्ञानिक **स्टीफन हॉकिंग** का नाम सुना है ?
.... आंखों में चमक लिए वे तुरंत बोले - हां, मैं जानता हूं । तब मैंने कहा अब आप समझ गए आपको क्या करना है। वे चेहरे पर मुस्कान लिये सिर हिला कर "हां" बोले, कहा मैं पढ़ कर बहुत कुछ करना चाहता हूं।
.......कुर्री (भानबेड़ा) के साधारण आदिवासी परिवार में जन्म लेने वाले रमन गोटा के माता का नाम कमला गोटा और पिता का नाम हरिशंकर गोटा है।
..... दिव्यांग रमन गोटा का यह संघर्ष उन सभी के लिए एक सीख है जो जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं से हार मान लेते हैं।
*अंत में - मेहनत का कोई तोड़ नहीं।*
छायाचित्र-: रमन गोटा और योगेश गोटा (कुर्री, भानबेड़ा) दिनांक 31/08/2021
*मैं निकल पड़ा अपने गंतव्य की ओर, मन में एक सुकून भरा भाव लेकर कि पुस्तकों में संघर्ष के नायकों की कहानियां यूं ही नहीं पढ़ायी जाती।*
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